अयोध्या – सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रामलला विराजमान के निर्णय ने अयोध्या व आसपास के गांव के परिवारों की 500 वर्ष पुरानी प्रण को तोड़ दिया। अयोध्या से लगे पूरा बाजार ब्लॉक व आसपास के 105 गांव के सूर्यवंशी क्षत्रिय परिवार 500 साल बाद सिर पर पगड़ी और पैरों में चमड़े के जूते पहनेंगे। कारण है राम मंदिर को लेकर उनके संकल्प पूर्ण होना। इन राजपूत परिवारों के पूर्वजों ने क्रूर इस्लामी आक्रमणकारियों के मंदिर को विक्षत करने के पश्चात इस बात का प्रण किया था कि जब तक पुन: मंदिर का निर्माण नहीं होगा, तब तक वे सिर पर पगड़ी नहीं बांधेंगे, न घाम अथवा वर्षा से बचाव हेतु छाते का प्रयोग करेंगे और न ही चमड़े के जूते पहनेंगे। चूँकि सूर्यवंशी क्षत्रिय (राजपूत), भारत के विभिन्न भागों – विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, दिल्ली से सटे हरियाणा, मध्य प्रदेश, व गुजरात में रहते हैं, अयोध्या और इसके निकट बसे इन 105 गांव में रहने वाले क्षत्रियों ने इस प्रण का पांच शताब्दी से निर्वाह किया।
राम मंदिर पर निर्णय आने के बाद सूर्यवंशी क्षत्रियों के करीब डेढ़ लाख परिवारों में पगड़ियां बांटी जा चुकी हैं। इतने वर्षों में अयोध्या के सूर्यवंशी क्षत्रियों ने विवाह समारोह में भी कभी पगड़ी नहीं बांधी। बता दें कि विवाह में केसरिया या गुलाबी पगड़ी या साफा पूर्व में क्षत्रिय वीर ही धारण किया करते थे।
अयोध्या के भारती कथा मंदिर की महंत ओमश्री भारती का कहना है, “सूर्यवंशियों ने सिर न ढंकने का जो संकल्प लिया था, उसका पालन करते हुए विवाह समारोह में अलग तरीके से मौरी सिर पर रखते रहे हैं, जिसमें सिर खुला रहता है। पूर्वजों ने जब जूते और चप्पल न पहनने का संकल्प लिया, तो उसकी जगह खड़ाऊ पहनना शुरू कर दिया। फिर बिना चमड़े वाले जूते-चप्पल आए तो उन्हें भी पहनने लगे, लेकिन चमड़े के जूते कभी नहीं पहने।
महंत भारती ने बताया कि सूर्यवंशी क्षत्रियों के परिवार न्यायालय के निर्णय से अति प्रसन्न हैं और उन्हें भव्य मंदिर निर्माण की प्रतीक्षा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस डीपी सिंह के अनुसार, उनके पूर्वजों ने 16वीं शताब्दी में मंदिर बचाने के लिए ठाकुर गजसिंह के नेतृत्व में मुगलों से युद्ध लड़ा था, जिसमें उन्हें मुगलों के दल-बल के सामने पराजय का सामना करना पड़ा था। पराजय के बाद ठाकुर गजसिंह ने पगड़ी व जूते न पहनने की प्रतिज्ञा ली थी। इसी प्रतिज्ञा का पालन पीढ़ियों तक उनके वंशजों ने भी किया।
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