पटना बिहार बोर्ड ने डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एडुकेशन (डीएलएड) का परिणाम निकलने के 7 महीने बाद भी अंक तालिका नहीं दिया है। उच्च न्यायलय इसके लिए बोर्ड को फटकार लगाई और कहा कि ‘बोर्ड की यह लापरवाही या सुस्ती आश्चर्य की बात है। बोर्ड 25 नवंबर तक अंक तालिका दें, नहीं तो उसके संयुक्त सचिव न्यायलय में हाजिर हों।’
न्यायमूर्ति अंजना मिश्रा की एकल पीठ बुधवार को बंशीधर बृजवासी की रिट याचिका की सुनवाई कर रही थी। इस बीच यह बात सामने आई कि बिहार बोर्ड, सत्र 2013 -15 की डीएलएड परीक्षा को लेने में बहुत देर कर रहा था। 2018 में परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष की तरफ से उच्च न्यायलय में रिट याचिका दायर कर इस सत्र की परीक्षा जल्द लेने की गुहार लगाई गई। उच्च न्यायलय के आदेश पर बोर्ड ने नवंबर 2018 में परीक्षा ली। इसमें 50 हजार से अधिक प्रशिक्षित शिक्षक उत्तीर्ण हुए।
कोर्ट ने कहा- रिट याचिका दायर होती है तो बोर्ड उत्तर तक नहीं देता परीक्षा का परिणाम इस वर्ष मार्च महीने में निकला। किंतु परिणाम निकलने के सात महीने बाद भी बोर्ड ने अब तक उत्तीर्ण हुए लोगों को अंक तालिका नहीं दी है। सुनवाई में न्यायलय को बताया गया कि इससे 50 हजार प्रशिक्षित शिक्षकों की वरीयता प्रभावित हो सकती है।
खंडपीठ ने बोर्ड के इस रवैये पर आश्चर्य व्यक्त किया। कहा-‘एक तो परिणाम निकलने के 7 महीने बाद भी अंक तालिका निर्गत नहीं होता। और जब बोर्ड की इस करनी के विरुद्ध रिट याचिका दायर होती है, तो बोर्ड उत्तर तक नहीं देता।’
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